Pink Ball Cricket: क्या है इसकी खासियत और कैसे बदल रहा है खेल का स्वरूप?
दुनिया भर में pink ball cricket का टेस्ट फॉर्मेट प्रसिद्ध है, जो दिन में पिंक बॉल से खेला जाता है। जैसा कि हम जानते हैं, क्रिकेट के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक इस खेल में काफी बदलाव आए हैं। उन्हीं बदलावों में से एक है पिंक बॉल क्रिकेट।
Why pink ball is used in test cricket
टेस्ट मैच आमतौर पर 5 दिनों का होता है पर आज-कल ये पांचवे दिन तक बहुत काम चल पता है ज्यादातर टेस्ट मैच का result 4 दिनों में ही डिक्लेअर हो जाता है, जो दिन में रेड बॉल से खेला जाता है।
जब लोगों की टेस्ट क्रिकेट में रुचि कम होने लगी थी, तो ICC (International cricket council) ने टेस्ट फॉर्मेट को और दिलचस्प बनाने के लिए पिंक बॉल का आविष्कार किया। पहले के टेस्ट मैच दिन में खेले जाते थे, लेकिन पिंक बॉल टेस्ट मैच दिन और रात (Day-Night) दोनों में खेले जाने लगे। पारंपरिक रेड बॉल रात के समय स्टेडियम की फ्लडलाइट्स में दिखाई नहीं देती, लेकिन पिंक बॉल को आसानी से देखा जा सकता है।
शुरुआत | Start
पहला पिंक बॉल टेस्ट मैच नवंबर 2015 में Australia और New Zealand के बीच Adelaide Oval में खेला गया। यह मैच सफल रहा, क्योंकि इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए और दर्शकों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

why pink ball used in test cricket
- Color and Visibility: पिंक बॉल गुलाबी और चमकीले रंग की होती है, जो रात में और दूसरी गेंदों के मुकाबले ज्यादा दिखाई देती है।
- निर्माण: यह चमड़े (leather) से बनी होती है, लेकिन लंबे समय तक चमकाने और रंग बरकरार रखने के लिए इसमें लाह (lacquer) का एक अतिरिक्त कोट होता है।
- मजबूती: यह वाइट बॉल के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती है और रेड बॉल से अलग व्यवहार करती है।
- सीम: पिंक बॉल का सीम (seam) काला या हरा होता है, जो बॉलर्स के लिए ग्रिप करना आसान बनाता है।
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डे-नाइट टेस्ट मैच का महत्व | Why Day-Night Test match started
- दर्शकों के लिए सुविधा: डे-नाइट मैचों के कारण लोग अपने काम के बाद मैच देख सकते हैं। यह स्टेडियम और टीवी दोनों पर अटेंडेंस (attendance) बढ़ाता है।
- राजस्व में वृद्धि: बढ़ते व्यूअरशिप (viewership) के साथ ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू (broadcasting revenue) भी बढ़ता है।
- मनोरंजन: पिंक बॉल का अलग व्यवहार इस फॉर्मेट को और भी रोचक बनाता है।

पिंक बॉल क्रिकेट के चैलेंज | Pink Ball Cricket ke challenge
- Twilight Period: रोशनी और अंधेरे के बीच का समय (twilight period) खेलने के लिए मुश्किल होता है।
- Due Factor: रात के समय बॉल स्लिपरी (slippery) हो जाती है, जो फील्डर्स और बॉलर्स के लिए चुनौती होती है।
- Swing: पिंक बॉल लाइट्स के नीचे ज्यादा स्विंग करती है, जो बल्लेबाजों के लिए कठिन होता है।
भारत और पिंक बॉल क्रिकेट | Bharat aor Pink Ball cricket
भारत ने अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट मैच नवंबर 2019 में Eden Gardens, Kolkata में Bangladesh के खिलाफ खेला। मैच देखने के लिए भारी भीड़ आई और यह सफल रहा।
पिंक बॉल क्रिकेट का महत्व | Why pink colour ball is used in cricket
पिंक बॉल क्रिकेट टेस्ट मैचों को पुनर्जीवन देने का एक सफल प्रयास है। डे-नाइट मैचों के कारण दुनिया भर के लोग इसे लाइव (live) देख पाते हैं, और इस फॉर्मेट ने टेस्ट क्रिकेट में नए दर्शकों को जोड़ना शुरू कर दिया है।

पिंक बॉल क्रिकेट के रोचक तथ्य | Pink Ball cricket ke rochak tathya
- ऑरेंज बॉल बनाम पिंक बॉल: फ्लडलाइट्स में ऑरेंज बॉल से बेहतर दृश्यता के लिए पिंक बॉल को चुना गया।
- निर्माण प्रक्रिया: पिंक बॉल को बनाने के लिए एक्स्ट्रा पॉलिश (extra polish) और यूनिक डाईंग प्रोसेस (unique dyeing process) का इस्तेमाल होता है।
- सबसे लंबा पिंक बॉल मैच: सबसे पहला पिंक बॉल टेस्ट केवल 3 दिनों तक चला, लेकिन आगे के मैचों में अंतर बढ़ने लगा।
निष्कर्ष | Conclusion
पिंक बॉल क्रिकेट नए और पुराने क्रिकेटिंग स्टाइल का एक बढ़िया उदाहरण है। यह सुनिश्चित करता है कि टेस्ट क्रिकेट लोगों के बीच जिंदा और प्रसिद्ध रहे। जिससे कि क्रिकेट का विकास जारी रहे, पिंक बॉल मैच इस खेल में नए रोचक अध्याय जोड़ते जा रहे हैं।